समाजशास्त्र
समाजशास्त्र मानव समाज काअध्ययन है | यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है जो मानवीय सामाजिक संरचना औरगतिविधियां से संबंधित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचना और विवेचनात्मक विश्लेषण कि विभिन्न पधातियो का उपयोग करता है | अक्सरजिस का ध्येय सामाजिक कल्याण के अनुसरण में ऐसे ज्ञान को लागू करना होता है | समाजशास्त्र के विषयवस्तु के विस्तार, आमनेसामने होने वाले संपर्क के सूक्ष्म स्तर से लेकर व्यापक तौर पर समाज के वृहद् स्तरतक है |
समाजशास्त्र पद्धति औरविषय वस्तु दोनों के मामले में एक विस्तृत विषय है | परम्परागत रूप से इसकीकेंद्रीयता सामाजिक स्तर विन्यास (या “वर्ग”) सामाजिक सम्बन्ध, सामाजिक संपर्क,धर्म, संस्कृति और विचलन पर रही है | तथा इसकेदृष्टिकोंण में गुणत्मक और मात्रात्मक शोध तकनीक, दोंनों का समवेश है, क्योंकि अधिकांशतःमनुष्य जो कुछ भी करता है वह सामाजिक संरचना या सामाजिक गतिविधि की श्रेणि केअंतरगत सटीक बैठता है | समाजशास्त्र नेअपना ध्यान धीरे-धीरे अन्य विषयो जैसे चिकित्सा, सैन्य और दंड संगठन, जनसंपर्क औरयहां तक कि वैज्ञानिक ज्ञान के निर्माण में सामाजिक गतिविधियां की भूमिका पर केंद्रितकिया है | सामाजिक वैज्ञानिक पद्धतियों की सीमा का व्यापक रूप से विस्तार हुआ 20वी शताब्दी के मध्य में भाषाई और संस्कृतिकपरिवर्तन तेजी से समाज के अध्ययन में भाष्य विषयक और व्यख्यात्मक दृष्टिकोण कोउत्पन्न किया | इसके विपरित हालके दशको ने नये गणितीय रूप से कठोरपद्धतियों का उदय देखा है जैसा सामाजिक नेटवर्क विश्लेषण |
B.A. – I :- भाग 1 – INTRODUCTION OF SOCIOLOGY
भाग 2 – FOUNDATION OF SOCIOLOGICAL THOUGHT
B.A. – II :- भाग 1 – SOCIETY IN INDIA
भाग 2 – CRIME AND SOCIETY
B.A. – III :- भाग 1 – SOCIOLOGY OF TRIBALSOCIETY
भाग 2 – SOCIAL RESEARCH METHODS